बहुचर्चित एथलीट और ‘फ्लाइंग सिख’ मिल्खा सिंह का निधन
मिल्खा
सिंह/ Milkha singh
बहुचर्चित एथलीट और ‘फ्लाइंग सिख’ के नाम से प्रसिद्ध मिल्खा सिंह का 91
वर्ष की आयु में 18 जून,2021को निधन हो गया है।
इससे पहले 13 जून,2021को उनकी पत्नी और भारतीय वॉलीबॉल टीम की पूर्व कप्तान
निर्मल कौर का भी निधन हो गया था।
जीवन
परिचय
मिल्खा सिंह का जन्म 20 नवंबर, 1929 को गोविंदपुरा,पाकिस्तान (वर्तमान
फैसलाबाद) में
एक सिख परिवार में हुआ था।
भारत के विभाजन के बाद हुए दंगों में मिल्खा सिंह ने अपने मां-बाप और कई भाई-बहन को खो दिया था।
इसके पश्चात् वे भारतीय सेना में शामिल हुए और इस दौरान मिल्खा सिंह ने एक
धावक के रूप में अपनी पहचान बनाई।
1958 के एशियाई खेलों में सिंह ने 200 मीटर और 400 मीटर दोनों में जीत
हासिल की। इसी वर्ष उन्होंने राष्ट्रमंडल खेलों में 400 मीटर दौड़ प्रतिस्पर्द्धा
में स्वर्ण पदक प्राप्त किया, जो खेलों के इतिहास में भारत का पहला एथलेटिक्स
स्वर्ण पदक था।
मिल्खा सिंह चार बार के एशियाई खेलों के स्वर्ण पदक विजेता थे, लेकिन उनका सबसे बेहतरीन प्रदर्शन वर्ष 1960 के रोम में 400 मीटर फाइनल में चौथा स्थान हासिल करना था, जहाँ वे मात्र 0.1 सेकंड पीछे होने के कारण कांस्य पदक प्राप्त नहीं कर सके थे।
सर्वोच्च सम्मान, पद्मश्री
मिल्खा सिंह को वर्ष 1959 में पद्मश्री (भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मानों में से एक) से सम्मानित किया गया था।
ऐसे मिला 'फ्लाइंग सिख' का खिताब
वर्ष 1960 में मिल्खा सिंह ने पाकिस्तान में इंटरनेशनल एथलीट प्रतियोगिता में भाग लेने से इनकार कर दिया था।
असल में वो दोनों देशों के बीच के बंटवारे की घटना को नहीं भुला पाए थे। इसलिए पाकिस्तान के न्योते को ठुकरा दिया था। हालांकि, बाद में तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने उन्हें समझाया कि पड़ोसी देशों के साथ मित्रतापूर्ण संबंध बनाए रखना जरूरी है। इसके बाद उन्होंने अपना मन बदल लिया।
अब्दुल खालिक को हराकर फिर रचा इतिहास
पाकिस्तान में इंटरनेशनल एथलीट में मिल्खा सिंह का मुकाबला अब्दुल खालिक से हुआ। यहां मिल्खा ने अब्दुल को हराकर इतिहास रच दिया।
इस जीत के बाद पाकिस्तान के तत्कालीन राष्ट्रपति फील्ड मार्शल अयूब खान ने उन्हें ‘फ्लाइंग सिख’ की उपाधि से नवाजा।
इस जीत के बाद राष्ट्रपति अयूब खान मिल्खा सिंह से कहा था, ‘आज तुम दौड़े नहीं उड़े हो। इसलिए हम तुम्हे फ्लाइंग सिख के खिताब से नवाजते हैं।’ इसके बाद से मिल्खा सिंह को पूरी दुनिया में ‘फ्लाइंग सिख’ के नाम से जाना जाने लगा।
बेटा जीव मिल्खा सिंह हैं गोल्फर
मिल्खा सिंह के बेटे जीव मिल्खा सिंह अंतरराष्ट्रीय स्तर के जाने-माने गोल्फर हैं।
जीव ने दो बार ‘एशियन टूर ऑर्डर ऑफ मेरिट’ जीता है। उन्होंने साल 2006 और 2008 में यह उपलब्धि हासिल की थी।
दो बार इस खिताब को जीतने वाले जीव भारत के एकमात्र गोल्फर हैं।
आत्मकथा
मिल्खा सिंह की आत्मकथा ‘द रेस ऑफ माई लाइफ’ वर्ष 2013 में प्रकाशित हुई थी।
फिल्म
धावक मिल्खा सिंह के जीवन पर ‘भाग मिल्खा भाग’ नाम से फिल्म भी बनी है।
‘भाग मिल्खा भाग’ का निर्देशन रंग दे बसंती फेम राकेश ओमप्रकाश मेहरा ने 2013 में किया था।
फिल्म की कहानी प्रसून जोशी ने मिल्खा सिंह की आत्मकथा द रेस ऑफ माई लाइफ से लिखी थी।
संपादक
महावीर ताड़ा
Sat sat naman
ReplyDeleteशत शत नमन
ReplyDeleteSat sat naman
ReplyDeleteThanks for this news
ReplyDeleteSat sat naman
ReplyDeleteAwesome content
ReplyDeleteThank_for_this_news बहुचर्चित एथलीट और ‘फ्लाइंग सिख’ के नाम से प्रसिद्ध मिल्खा सिंह का 91 वर्ष की आयु में 18 जून,2021को निधन हो गया है।
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