महान्यायवादी (अटॉर्नी जनरल) वेणुगोपाल का दूसरी बार कार्यकाल बढ़ाया

महान्यायवादी (अटॉर्नी जनरल) वेणुगोपाल का केंद्र सरकार ने दूसरी बार कार्यकाल बढ़ाया

हाल ही में केंद्र सरकार ने अटॉर्नी जनरल (Attorney General-AG) के रूप में वरिष्ठ अधिवक्ता के. के. वेणुगोपाल (K.K. Venugopal) के कार्यकाल को एक वर्ष के लिये बढ़ा दिया है।

यह दूसरी बार है जब केंद्र ने उनका कार्यकाल बढ़ाया है। वर्ष 2020 में वेणुगोपाल के पहले कार्यकाल को बढ़ाया गया था।

वेणुगोपाल को वर्ष 2017 में भारत का 15वाँ महान्यायवादी नियुक्त किया गया था। उन्होंने मुकुल रोहतगी का स्थान लिया जो वर्ष 2014-2017 तक महान्यायवादी रहे।

महान्यायवादी (Attorney General- AG) 

भारतीय संविधान के अनुच्छेद 76 के अनुसार, भारत का अटॉर्नी जनरल (AG) भारत का सबसे बड़ा कानून अधिकारी होता है।

भारत सरकार के मुख्य कानून सलाहकार होने के नाते अटॉर्नी जनरल सभी कानूनी मामलों पर केंद्र सरकार को सलाह देने का कार्य करता है।

इसके अतिरिक्त भारत का अटॉर्नी जनरल सर्वोच्च न्यायालय में केंद्र सरकार का प्रतिनिधित्त्व भी करता है।

नियुक्ति और पात्रता

भारतीय संविधान के अनुच्छेद 76 के अनुसार, अटॉर्नी जनरल (AG) की नियुक्ति भारत के राष्ट्रपति द्वारा की जाती है। 

अटॉर्नी जनरल के रूप में नियुक्त होने के लिये उन योग्यताओं का होना अनिवार्य है, जो उच्चतम न्यायालय के किसी न्यायाधीश की नियुक्ति के लिये आवश्यक है। 

वह व्यक्ति भारत का नागरिक हो, उसे उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में कार्य करने का पाँच वर्षों का अनुभव हो या किसी उच्च न्यायालय में वकालत का 10 वर्षों का अनुभव हो अथवा राष्ट्रपति के मतानुसार वह न्यायिक मामलों का योग्य व्यक्ति हो।

गौरतलब है कि संविधान में अटॉर्नी जनरल के कार्यकाल के संबंध में कोई निश्चित व्याख्या नहीं दी गई है, हालाँकि राष्ट्रपति द्वारा कभी भी उन्हें इस पद से हटाया जा सकता है। इसके अलावा अटॉर्नी जनरल किसी भी समय राष्ट्रपति को अपना इस्तीफा सौंप कर पदमुक्त हो सकता है।

संविधान में अटॉर्नी जनरल का पारिश्रमिक निर्धारित नहीं किया गया है, संविधान के अनुच्छेद 76 के अनुसार, अटॉर्नी जनरल के पारिश्रमिक का निर्धारण राष्ट्रपति द्वारा किया जाता है।

कर्तव्य और कार्य

ऐसे कानूनी मामलों पर भारत सरकार (Government of India- GoI) को सलाह देना, जो राष्ट्रपति द्वारा उसे भेजे जाते हैं।

कानूनी रूप से ऐसे अन्य कर्तव्यों का पालन करना जो उसे राष्ट्रपति द्वारा सौंपे जाते हैं।

भारत सरकार की ओर से उन सभी मामलों में जो कि भारत सरकार से संबंधित हैं, सर्वोच्च न्यायालय या किसी भी उच्च न्यायालय में उपस्थित होना।

संविधान के अनुच्छेद 143 (सर्वोच्च न्यायालय से परामर्श करने की राष्ट्रपति की शक्ति) के तहत राष्ट्रपति द्वारा सर्वोच्च न्यायालय में किये गए किसी भी संदर्भ में भारत सरकार का प्रतिनिधित्व करना।

संविधान या किसी अन्य कानून द्वारा उसे प्रदत्त कार्यों का निर्वहन करना।

अधिकार और सीमाएं

वोट देने के अधिकार के बिना उसे संसद के दोनों सदनों या उनकी संयुक्त बैठक और संसद की किसी भी समिति की कार्यवाही में बोलने तथा भाग लेने का अधिकार है, जिसका वह सदस्य नामित किया जाता है।

वह उन सभी विशेषाधिकारों और उन्मुक्तियों का हकदार होता है जो एक संसद सदस्य को प्राप्त होते हैं।

वह सरकारी सेवकों की श्रेणी में नहीं आता है, अत: उसे निजी कानूनी अभ्यास से वंचित नहीं किया जाता है।

हालाँकि उसे भारत सरकार के खिलाफ किसी मामले में सलाह या संक्षिप्त जानकारी देने का अधिकार नहीं है।

भारत के सॉलिसिटर जनरल (Solicitor General of India) और भारत के अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (Additional Solicitor General) आधिकारिक ज़िम्मेदारियों को पूरा करने में महान्यायवादी की सहायता करते हैं।

अब तक देश में रह चुके महान्यायवादी एक नजर में

भारत के संविधान के निर्माण से अब तक देश में 15 अटॉर्नी जनरलों नियुक्त हो चुके हैं, वो इस प्रकार हैं

महान्यायवादी  के नाम

कार्यकाल

एम.सी. सेटालवड

28 जनवरी 1950 – 1 मार्च 1963

सी. के. दफ्तरी

2 मार्च 1963 – 30 अक्टूबर 1968

निरेन डे

1 नवम्बर 1968 – 31 मार्च 1977

एस वी गुप्ते

1 अप्रैल 1977 – 8 अगस्त 1979

एल.एन. सिन्हा

9 अगस्त 1979 – 8 अगस्त 1983

के परासरण

9 अगस्त 1983 – 8 दिसम्बर 1989

सोली सोराबजी

9 दिसम्बर 1989 – 2 दिसम्बर 1990

जे. रामास्वामी

3 दिसम्बर 1990 – 23 नवम्बर 1992

मिलन के. बनर्जी

21 नवम्बर 1992 – 8 जुलाई 1996

अशोक देसाई

9 जुलाई 1996 – 6 अप्रैल 1998

सोली सोराबजी

7 अप्रैल 1998 – 4 जून 2004

मिलन के. बनर्जी

5 जून 2004 – 7 जून 2009

गुलाम एस्सजी वाहनवति

8 जून 2009 – 11 जून 2014

मुकुल रोहतगी

12 जून 2014 – 30 जून 2017

के.के. वेणुगोपाल

30 जून 2017 से अभी तक

 

के. के. वेणुगोपाल (कोट्टयन कटंकोट वेणुगोपाल) के बारे में

के. के. वेणुगोपाल का जन्म वर्ष वर्ष 1931 में हुआ था और उन्होंने एक अधिवक्ता के तौर पर अपने कैरियर की शुरुआत वर्ष 1954 में की थी।

के. के. वेणुगोपाल को इससे पूर्व वर्ष 1977 से 1979 तक जब देश में मोरारजी देसाई के नेतृत्व वाली सरकार थी तब देश के अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल रह चुके हैं।

के. के. वेणुगोपाल को वर्ष 2002 में भारत सरकार ने सार्वजनिक क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए देश के तीसरे सर्वोच्च नागरिक अलंकरण पदम भूषण से सम्मानित किया था।

ज्यादा जानकारी के लिए आप देख सकते हो फेसबुक पेज https://www.facebook.com/MahaveerTada9785/





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