भारत के 14 बाघ अभयारण्यों को ग्लोबल कंज़र्वेशन एश्योर्ड | टाइगर स्टैंडर्ड्स (CA|TS) की मान्यता

 

भारत के 14 बाघ अभयारण्यों को ग्लोबल कंज़र्वेशन एश्योर्ड | टाइगर स्टैंडर्ड्स (CA|TS) की मान्यता-:

·    भारत के, 14 बाघ अभयारण्यों को 29 जुलाई, 2021 को अंतर्राष्ट्रीय बाघ दिवस के अवसर पर वैश्विक संरक्षण सुनिश्चित बाघ मानकों (Global Conservation Assured Tiger Standards - CA|TS) की मान्यता प्राप्त हुई है। तथा पड़ोसी देश नेपाल, भूटान और रूस में एक-एक रिजर्व को CATS की मान्यता दी गई है।  

·      राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (National Tiger Conservation Authority - NTCA) ने 'बाघरक्षकों' को बाघों और जंगलों की रक्षा के लिए उनके प्रयासों के लिए मान्यता दी है।

·     वर्तमान में 13 टाइगर रेंज देश हैं - भारत, बांग्लादेश, भूटान, कंबोडिया, चीन, इंडोनेशिया, लाओ PDR, मलेशिया, म्याँमार, नेपाल, रूस, थाईलैंड और वियतनाम।

·    भारत के इन 14 रिजर्व में मानस, काजीरंगा, और ओरंग (असम), सुंदरवन (पश्चिम बंगाल), वाल्मीकि (बिहार), दुधवा (उत्तर प्रदेश), पन्ना, कान्हा, सतपुड़ा, पेंच (मध्य प्रदेश), अनामलाई और मुदुमलाई (तमिलनाडु); परम्बिकुलम (केरल) और बांदीपुर (कर्नाटक) शामिल है।

भारत के 18 राज्यों में 51 बाघ अभयारण्य-:

·      भारत के 18 राज्यों में 51 बाघ अभयारण्य है। वहीं वर्ष 2018 की अंतिम बाघ गणना में बाघों की आबादी में वृद्धि देखी गई थी।  

·     भारत ने बाघ संरक्षण पर सेंट पीटर्सबर्ग घोषणा के समय से 4 साल पहले बाघों की आबादी को दोगुना करने का लक्ष्य हासिल कर लिया है।

·      वर्ष 2010 में, भारत में 1,706 बाघ थे। राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण के अनुसार, 2018 तक वे दोगुने से अधिक 2,967 हो गए है।

ग्लोबल कंज़र्वेशन एश्योर्ड | टाइगर स्टैंडर्ड्स (CA|TS)-:

·      CA|TS विभिन्न मानदंडों का एक सेट है, जो बाघ से जुड़े स्थलों को इस बात को जाँचने की अनुमति देता है कि क्या उनके प्रबंधन से बाघों का सफल संरक्षण संभव होगा।

·       CA|TS को टाइगर रेंज देशों (TRCs) के वैश्विक गठबंधन द्वारा एक मान्यता उपकरण के रूप में स्वीकार किया   गया है और इसे बाघ और संरक्षित क्षेत्र के विशेषज्ञों द्वारा विकसित किया गया है।

·       यह लक्षित प्रजातियों के प्रभावी प्रबंधन के लिए न्यूनतम मानक निर्धारित करता है और प्रासंगिक संरक्षण क्षेत्रों में   इन मानकों के मूल्यांकन को प्रोत्साहित करता है।

·         इसे आधिकारिक तौर पर वर्ष 2013 में लॉन्च किया गया था।

·     ग्लोबल टाइगर फोरम (GTF), बाघ संरक्षण पर काम करने वाला एक अंतरराष्ट्रीय गैर सरकारी संगठन, और वर्ल्ड वाइल्डलाइफ फंड इंडिया, भारत में CATS मूल्यांकन के लिए राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण के दो कार्यान्वयन भागीदार हैं।

भारत के 14 टाइगर रिजर्व जिन्हें CA|TS से प्रतिष्ठित वैश्विक मान्यता प्राप्त दी गई :-

(1)       मानस वन्यजीव अभयारण्य (असम) -:

·     अद्वितीय जैव विविधता और परिदृश्य से भरा मानस नेशनल पार्क, असम राज्य में भूटान-हिमालय की तलहटी में स्थित है।

·       यह वर्ष 1973 में प्रोजेक्ट टाइगर के तहत बाघ अभयारण्यों के नेटवर्क में शामिल होने वाले प्राथमिक अभयारण्यों में से एक है।

·         मानस वन्यजीव अभयारण्य भारत की 22 लुप्तप्रायः प्रजातियों का निवास स्थान है।

·         वर्ष 1989 में इसे बायोस्फीयर रिज़र्व तथा वर्ष 1990 में नेशनल पार्क का दर्जा दिया गया।

·         इसको यूनेस्को ने वर्ष 1985 में विश्व धरोहर स्थल घोषित किया था। 

(2)       काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान (असम) -:

·         काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान असम राज्य में स्थित है।

·         यह राष्ट्रीय उद्यान भारतीय गैंडे ( एक सींग वाले गैंडे ) के लिए प्रसिद्ध है।

·         विश्व के दो-तिहाई एक सींग वाले गैंडे काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान में ही पाए जाते हैं ।

·   काजीरंगा में संरक्षण प्रयासों का अधिकांश ध्यान 'बड़ी चार' प्रजातियों- राइनो,हाथी,रॉयल बंगाल टाइगर   और एशियाई जल भैंस पर केंद्रित है।

·      उत्तराखंड के जिम कॉर्बेट राष्ट्रीय उद्यान और कर्नाटक में बांदीपुर राष्ट्रीय उद्यान के बाद भारत में धारीदार बिल्लियों की तीसरी सबसे ज़्यादा जनसंख्या काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान में पाई जाती है ।

·         इसे 2006 में टाइगर रिजर्व घोषित किया गया था।

·         वर्ष 1985 में काजीरंगा राष्ट्रीय वन को यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल के रूप में शामिल किया गया।

(3)       ओरंग बाघ अभयारण्य (असम) -:  

·     ओरांग राष्ट्रीय उद्यान को राजीव गांधी ओरांग राष्ट्रीय उद्यान के रूप में भी जाना जाता है।

·      यह असम के दर्रांग और सोनितपुर ज़िलों में ब्रह्मपुत्र नदी के उत्तरी तट पर 78.81 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में स्थित है।

·     इसे 1985 में एक वन्यजीव अभयारण्य के रूप में स्थापित किया गया था, लेकिन 1999 में राष्ट्रीय उद्यान के रूप में घोषित किया गया था।

·      इसे वर्ष 2016 में देश का 49वाँ टाइगर रिजर्व घोषित किया गया।

·     इसे काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान (IUCN साइट) का छोटा रूप भी माना जाता है क्योंकि दोनों पार्कों में एक समान    परिदृश्य है जो दलदल, जलधाराओं और घास के मैदानों से बना है।

·       यह ब्रह्मपुत्र नदी के उत्तरी तट पर गैंडों का एकमात्र राष्ट्रीय उद्यान है।

(4)       कान्हा बाघ अभयारण्य (मध्य प्रदेश) -:  

·      कान्हा टाइगर रिज़र्व मध्य प्रदेश के दो ज़िलों- मंडला (Mandla)  और बालाघाट (Balaghat) में 940 वर्ग किमी. के क्षेत्र में फैला हुआ है।

·       वर्तमान कान्हा टाइगर रिज़र्व क्षेत्र पूर्व में दो अभयारण्यों- हॉलन (Hallon) और बंजार (Banjar) में विभाजित था।

·     वर्ष 1955 में इसे कान्हा नेशनल पार्क का दर्जा दिया गया तथा वर्ष 1973 में कान्हा टाइगर रिज़र्व घोषित किया गया।

·       कान्हा राष्ट्रीय उद्यान मध्य भारत का सबसे बड़ा राष्ट्रीय उद्यान है।

(5)       पन्ना बाघ अभयारण्य (मध्य प्रदेश) -:  

·     पन्ना टाइगर रिज़र्व मध्य प्रदेश के दो ज़िलों- पन्ना और छतरपुर में लगभग 576 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैला हुआ है।

·      पन्ना टाइगर रिज़र्व की स्थापना वर्ष 1981 में की हुई थी।

·      इस रिज़र्व को भारत के 22वें टाइगर रिज़र्व के रूप में शामिल किया गया था।

·      इस रिज़र्व के मध्य में उत्तर से दक्षिण की ओर केन नदी बहती है।

(6)       सतपुड़ा बाघ अभयारण्य (मध्य प्रदेश) -:  

·       यह नर्मदा नदी के दक्षिण में स्थित है।

·      सतपुड़ा टाइगर रिज़र्व में तीन संरक्षित क्षेत्र शामिल हैं। सतपुड़ा राष्ट्रीय उद्यान, बोरी अभयारण्य, पंचमढ़ी अभयारण्य।

·      सतपुड़ा टाइगर रिजर्व को मध्य प्रदेश के प्रथम बायोस्फीयर रिजर्व के रूप में वर्ष 1999 में घोषित किया गया था।

(7)       पेंच बाघ अभयारण्य (महाराष्ट्र) -:  

·         महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश में स्थित इस टाइगर रिज़र्व का नामकरण प्राचीन पेंच नदी के नाम पर किया गया है।

·         पेंच नदी, ‘पेंच टाइगर रिज़र्व’ के बीच से होकर गुज़रती है।

·        यह रिज़र्व मध्य प्रदेश के सिवनी और छिंदवाड़ा ज़िलों में सतपुड़ा पहाड़ियों के दक्षिणी छोर पर स्थित है और महराष्ट्र के नागपुर ज़िले तक विस्तारित है।

·     वर्ष 1975 में इसे महाराष्ट्र सरकार द्वारा एक राष्ट्रीय उद्यान घोषित किया गया और वर्ष 1998-1999 में इसे एक टाइगर रिज़र्व की मान्यता प्रदान की गई।

(8)       वाल्मीकि बाघ अभयारण्य (बिहार) -:  

·         बिहार के पश्चिमी चंपारण ज़िले में भारत-नेपाल सीमा पर स्थित है।

·         यह भारत में हिमालयी तराई वनों की सबसे पूर्वी सीमा बनाती है।

·         इसकी स्थापना मार्च 1994 में प्रोजेक्ट टाइगर के तहत की गई थी।

(9)       दुधवा बाघ अभयारण्य (उत्तर प्रदेश) -:  

·    यह उत्तर प्रदेश के लखीमपुर-खीरी ज़िले में भारत-नेपाल सीमा पर स्थित है तथा यह उत्तर प्रदेश के तराई क्षेत्र में प्राकृतिक जंगलों और घास के मैदानों का प्रतिनिधित्व करता है।

·     इसके अंतर्गत तीन महत्त्वपूर्ण संरक्षित क्षेत्र शामिल हैं: दुधवा नेशनल पार्क, किशनपुर वन्यजीव अभयारण्य, कतर्निया घाट वन्यजीव अभयारण्य।

·     दुधवा नेशनल पार्क और किशनपुर वन्यजीव अभयारण्य को वर्ष 1987 में तथा कतर्निया वन्यजीव अभयारण्य को वर्ष 2000 में दुधवा टाइगर रिज़र्व में शामिल किया गया था।

(10)  सुंदरबन बाघ अभयारण्य (पश्चिम बंगाल) -:  

·         सुंदरबन राष्ट्रीय उद्यान भारत के पश्चिम बंगाल राज्य में स्थित है।

·         सुंदरवन का नाम यहां पाए जाने वाले सुंदरी नाम के वृक्ष की वजह से पड़ा है।

·         इसके मुख्य क्षेत्र को वर्ष 1973 में टाइगर रिज़र्व, वर्ष 1977 में वन्यजीव अभयारण्य तथा 4 मई, 1984 को राष्ट्रीय उद्यान घोषित किया गया था।

·         यह उद्यान लगभग 1,355 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैला हुआ है।

·         यहाँ विश्व का सबसे बड़ा हेलोफाइटिक मैंग्रोव वन क्षेत्र स्थित है। 

·         यहाँ जीव-जंतुओं की लगभग 2,487 प्रजातियाँ हैं।

·     इस क्षेत्र में पाया जाने वाला प्रसिद्ध रॉयल बंगाल टाइगर यहाँ की जलीय परिस्थितियों के अनुकूल है। यह रॉयल बंगाल टाइगर तैर भी सकता है। 

·         यूनेस्को ने इसे वर्ष 1987 में विश्व धरोहर स्थल घोषित किया था।

(11)  परम्बिकुलम बाघ अभयारण्य (केरल) -:  

·       परम्बिकुलम टाइगर रिज़र्व दक्षिण भारत के केरल राज्य के पलक्कड़ ज़िले में 391 वर्ग किलोमीटर का संरक्षित क्षेत्र है।

·        इसकी स्थापना वर्ष 1973 में की गई थी।

·       परम्बिकुलम वन्यजीव अभयारण्य को 19 फरवरी, 2010 को परम्बिकुलम टाइगर रिज़र्व के हिस्से के रूप में घोषित किया गया था।

·     यह अन्नामलाई हिल्स और नेल्लीयाम्पथी (Nelliyampathy) पहाड़ियों के बीच पहाड़ियों की सुंगम (Sungam) श्रेणी में अवस्थित है।

(12)  बांदीपुर बाघ अभयारण्य (कर्नाटक) -:  

·        यह कर्नाटक के दो निकटतम ज़िलों (मैसूर और चामराजनगर) में फैला हुआ है तथा कर्नाटक, तमिलनाडु और केरल राज्यों के त्रि-जंक्शन क्षेत्र में स्थित है।

·        यह नीलगिरी बायोस्फीयर रिजर्व का एक हिस्सा है।

·        इसकी स्थापना प्रोजेक्ट टाइगर के तहत वर्ष 1973 में की गई थी।

·      वर्ष 1985 में वेणुगोपाला वन्यजीव पार्क से सटे क्षेत्रों को शामिल कर इसके क्षेत्रफल में वृद्धि की गई तथा बांदीपुर राष्ट्रीय उद्यान नाम दिया गया।

(13)  अन्नामलाई बाघ अभयारण्य (तमिलनाडु) -:  

·     अन्नामलाई टाइगर रिजर्व, जिसे पहले इंदिरा गांधी वन्यजीव अभयारण्य और राष्ट्रीय उद्यान के रूप में जाना जाता था, तमिलनाडु के पश्चिमी घाट में अनामीलाई पहाड़ियों में स्थित है।

·       इसमें तमिलनाडु के कोयम्बटूर जिले के पोलाची, वालपराई और उदुमलपेट तालुका के अनामीलाई हिल्स शामिल हैं।

·       यह दक्षिण-पश्चिम भारत की पश्चिमी घाट सीमा के भीतर आता है।  यह क्षेत्र 25 वैश्विक जैव विविधता हॉटस्पॉट में से एक के रूप में नामित है।

·         इस क्षेत्र को वर्ष 1974 में अन्नामलाई वन्यजीव अभयारण्य के रूप में अधिसूचित किया गया था।

·      इस अभयारण्य में पाई जाने वाली पर्वत श्रेणियों में अमरावती,उदुमलपेट,पोलाची, उलेडी और वलपरई आदि शामिल हैं।

(14)  मुदुमलाई बाघ अभयारण्य (तमिलनाडु) -:  

·         मुदुमलाई टाइगर रिज़र्व तमिलनाडु राज्य के नीलगिरि ज़िले में तीन राज्यों (कर्नाटक, केरल और तमिलनाडु) के त्रि-जंक्शन पर स्थित है।

·         इसका क्षेत्रफल 321 वर्ग किमी. है।

·         यह वर्ष 1986 में घोषित भारत के पहले बायोस्फीयर रिज़र्व (नीलगिरि बायोस्फीयर रिज़र्व) का हिस्सा है।

·      मोयार (Moyar) नदी मुदुमलाई टाइगर रिज़र्व से होकर बहती है और मुदुमलाई तथा बांदीपुर अभयारण्य के बीच प्राकृतिक विभाजन रेखा का निर्माण करती है।

·    तमिलनाडु राज्य सरकार ने अप्रैल 2007 में मुदुमलाई टाइगर रिज़र्व में बाघों की घटती आबादी के कारण इसे वन्यजीव संरक्षण अधिनियम- 1972 के तहत टाइगर रिज़र्व घोषित किया था।

अंतर्राष्ट्रीय बाघ दिवस-:  

·         प्रतिवर्ष 29 जुलाई को संपूर्ण विश्व में ‘अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस’ (International Tiger Day) के रूप में मनाया जाता है।

·         वर्ष 2021 की अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस की थीम-”बाघों का अस्तित्व हमारे हाथों में है”।

·    इस दिवस को मनाने का उद्देश्य विश्व  में  बाघों के निवास के संरक्षण, विस्तार तथा उनकी स्थिति के बारे में जागरूकता को बढ़ावा देना है।

·       वर्ष 2010 में रूस के सेंट पीटर्सबर्ग में बाघ सम्मेलन में 29 जुलाई को प्रतिवर्ष ‘अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस’ मनाने का निर्णय लिया गया था।

·         भारत सरकार ने बाघों के संरक्षण के लिए वर्ष 1973 में ‘प्रोजेक्ट टाइगर’ की शुरूआत की थी।

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